Friday, July 13, 2012

श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ

श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ एक अत्यंत प्राचीन तीर्थ स्थल है जो राजस्थान राज्य में बाडमेर के नाकोडा ग्राम में स्थित है। भारत में रामायण और महाभारत काल तक तीर्थ स्थलों की प्राप्ति हो चुकी थी। इन दो महाकाव्यों में तीर्थ शब्द का अनेक बार उल्लेख आया है। नाकोडा तीर्थ स्थल प्रमुख दो कारणों से विख्यात है-

पहला कारण

श्वेताम्बर जैन समाज के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ की दसवीं शताब्दी की प्राचीनतम मूर्ति का मिलना और पांच सौ छह सौ वर्षो पूर्व उस चमत्कारी मूर्ति का जिनालय में स्थापित होना। मुख्य मंदिर की भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा चूंकि सिन्दरी के पास नाकोडा ग्राम से आई थी, अतः यह तीर्थ नाकोडा पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह क्षेत्र लगभग दो हज़ार वर्ष से जैन आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहाँ के खेडपटन और मेवानगर अथवा विरामपुर इस संदर्भ में जैन ऐतिहासिक परम्पराओं से जुड़े रहे हैं।

दूसरा कारण

तीर्थ के अधियक देव श्री भैरव देव की स्थापना पार्श्वनाथ मंदिर के परिसर में होना है, जिनके देवी चमत्कारों के कारण हज़ारों लोग प्रतिवर्ष श्री नाकोडा भैरव के दर्शन करने यहाँ आते है और मनवांछित फल पाते हैं।

इतिहास

किदवंतियों के आधार पर श्री जैन श्वेताम्बर नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ का प्राचीनतम उल्लेख महाभारत काल यानि भगवान श्री नेमिनाथ जी के समयकाल से जुड़ता है किन्तु आधारभूत ऐतिहासिक प्रमाण से इसकी प्राचीनता विक्रम संवत 200-300 वर्ष पूर्व यानि 2000-2300 वर्ष पूर्व की मानी जा सकती है। अतः श्री नाकोडा पार्श्वनाथ तीर्थ राजस्थान के उन प्राचीन जैन तीर्थो में से एक है, जो 2000 वर्ष से भी अधिक समय से इस क्षेत्र की खेड़पटन एवं मेवानगर की ऐतिहासिक सम्रद्ध, संस्कृतिक धरोहर का श्रेष्ठ प्रतीक है। मेवानगर के पूर्व में विरामपुर नगर के नाम से प्रसिद्ध था। विरामसेन ने विरामपुर तथा नाकोरसेन ने नाकोडा नगर बसाया था। आज भी बालोतरा- सीणधरी हाईवे पर नाकोडा ग्राम लूनी नदी के तट पर बसा हुआ है, जिसके पास से ही इस तीर्थ के मूल नायक भगवन की इस प्रतिमा की पुनः प्रति तीर्थ के संस्थापक आचार्य श्री किर्ति रत्न सुरिजी द्वारा विक्रम संवत 1090 व 1205 का उल्लेख है।

भैरव देवजी की स्थापना

श्री नाकोडा अधियक भैरव देव जी की स्थापना विक्रम संवत 1502 में आचार्य श्री किर्तिरत्न सूरि जी ने नाकोडा पार्श्वनाथ प्रभु की प्रति के समय की थी। अत्यंत मनमोहक पीले पाषाण की महान विलक्षण प्रतिमा स्थापित है, जिसे श्री नाकोडा भैरव कहा जाता है। समीप ही श्री नाकोडा बाँध पर भैरव के दूसरे रूप की प्रतिमा भी स्थापित है, जिसे कालिया भैरव के नाम से जाना जाता है।

नाकोडा पार्श्वनाथ जी की अराधना


तीर्थ के अधिनायक देव श्री भैरव देव की मूल मंदिर में अत्यंत चमत्कारी प्रतिमा है, जिसके प्रभाव से देश के कोने कोने से लाखों यात्री प्रतिवर्ष यहाँ दर्शनार्थ आकर स्वयं को कृतकृत्य अनुभव करते है। वैसे तीनों मंदिर वास्तुकला के अद्भुत नमूने है। चौमुखजी कांच का मंदिर, महावीर स्मृति भवन, शांतिनाथ जी के मंदिर में तीर्थंकरों के पूर्व भवों के पट्ट भी अत्यंत कलात्मक व दर्शनीय है।

उत्थान एवं पतन

तीर्थ ने अनेक बार उत्थान एवं पतन को आत्मसात किया है। विधर्मियों की विध्वंसात्मक- वृत्ति में विक्रम संवत 1500 के पूर्व इस क्षेत्र के कई स्थानों को नष्ट किया है, जिसका दुष्प्रभाव यहाँ पर भी हुआ। लेकिन संवत 1502 की प्रति के पश्चात पुन: यहाँ प्रगति का प्रारम्भ हुआ और वर्तमान में तीनों मंदिरों का परिवर्तित व परिवर्धित रूप इसी काल से सम्बंधित है। संवत 1959 - 60 में साध्वी प्रवर्तिनी श्री सुन्दर जी ने इस तीर्थ के पुन: उद्धार का काम प्रारंभ कराया और गुरु भ्राता आचार्य श्री हिमाचल सूरीजी भी उनके साथ जुड़ गये। इनके अथक प्रयासों से आज ये तीर्थ विकास के पथ पर निरंतर आगे बढ़ता रहा है। मूल नायक श्री नाकोडा पार्श्वनाथ जी के मुख्य मंदिर के अलावा प्रथम तीर्थंकर परमात्मा श्री आदिनाथ प्रभु एवं तीसरा मंदिर सोलवें तीर्थंकर परमात्मा श्री शांतिनाथ प्रभु का है। इसके अतिरिक्त अनेक देवालय, ददावाडियाँ एवं गुरुमंदिर है जो मूर्तिपूजक परंपरा के सभी गछों को एक संगठित रूप से संयोजे हुए है।

कैसे पहुँचे

    यह तीर्थ जोधपुर से 116 किमी तथा बालोतरा से 12 किमी (उत्तरी रेलवे स्टेशन) जोधपुर बाड़मेर मुख्य रेल मार्ग पर स्थित है।
    तीर्थ स्थान प्राय: सभी केंद्र स्थानों से पक्की सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है।
    श्री नाकोडा तीर्थ ट्रस्ट यात्रियों के लिए निवास, भोजन, पुस्तकालय, औषधालय आदि की सभी प्रकार की व्यवस्था सहर्ष करता है।

मंदिर के खुलने का समय

गर्मी (चैत्र सुदी एकम से कार्तिक वदी अमावस तक)

प्रातः : 5:30 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक

सर्दी (कार्तिक सुदी एकम से चैत्र वदी अमावस तक)

प्रातः : 6:00 बजे से रात्रि : 9:30 बजे तक विशेष

करणीमाता का मंदिर (देशनोक) बीकानेर

करणीमाता का मंदिर
राजस्थान राज्य के एतिहासिक नगर बीकानेर से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गाँव देशनोक की सीमा में स्थित है। यह भी एक तीर्थ धाम है, लेकिन इसे चूहे वाले मंदिर के नाम से भी जाना जानता हैं। करणी देवी साक्षात माँ जगदम्बा की अवतार थीं।
अब से लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व जिस स्थान पर यह भव्य मंदिर है, वहाँ एक गुफा में रहकर माँ अपने इष्ट देव की पूजा अर्चना किया करती थीं। यह गुफा आज भी मंदिर परिसर में स्थित है। माँ के ज्योर्तिलीन होने पर उनकी इच्छानुसार उनकी मूर्ति की इस गुफा में स्थापना की गई। संगमरमर से बने मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। वहाँ पर चूहों की धमाचौकड़ी देखती ही बनती है। चूहे पूरे मंदिर प्रांगण में मौजूद रहते हैं। वे श्रद्धालुओं के शरीर पर कूद-फांद करते हैं, लेकिन किसी को कोई नुक़सान नहीं पहुँचाते। चील, गिद्ध और दूसरे जानवरों से इन चूहों की रक्षा के लिए मंदिर में खुले स्थानों पर बारीक जाली लगी हुई है। इन चूहों की उपस्थिति की वजह से ही श्री करणी देवी का यह मंदिर चूहों वाले मंदिर के नाम से भी विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि किसी श्रद्धालु को यदि यहाँ सफ़ेद चूहे के दर्शन होते हैं, तो इसे बहुत शुभ माना जाता है। सुबह पाँच बजे मंगला आरती और सायं सात बजे आरती के समय चूहों का जुलूस तो देखने लायक़ होता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर संगमरमर पर नक़्क़ाशी को भी विशेष रूप से देखने के लिए लोग यहाँ आते हैं। चाँदी के किवाड़, सोने के छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए यहाँ रखी चाँदी की बड़ी परात भी देखने लायक़ है।


 वैसे तो करनी माता को सभी जाती के लोग मानते है पर चारण जाती के लोगो की करनी माता कुलदेवी मानी जाती है 
करनी माता को महामाई ,डोकरी आदि नामो से भी जाना जाता है करनी माता के भजनों को चिरजा कहते है डीडवाना तहसील के पालोट ग्राम पंचायत से केवल दो किलोमीटर दूर गांव जोरावरपुरा मैं भी करनी  माता का चमत्कारिक मंदिर है जो पूरे दिल से सर झुकाता है उसकी मनोकामना महामाई अवश्य पूरी करती है I

Saturday, June 9, 2012

राजस्थान के पर्यटन स्थल


Monday, February 20, 2012

A VIEW OF RAJASTHAN


Friday, February 10, 2012

राजस्थान रा देवी देवता Gods of rajasthan




Thursday, February 9, 2012

राजस्थान री महान विभूतिया , Great mens and womens of Rajasthan




District of rajasthan राजस्थान रा जिला, राजस्थान के जिले




Wednesday, February 8, 2012

राजस्थन महत्वपूर्ण जानकारी Rajasthan general knowadge






राजस्थान : महत्वपूर्ण जाणकारी

क्षेत्रफल रे आधार पर सबसु बडो जिलो

जैसलमेर

क्षेत्रफल रे आधार पर सबसु छोटो जिलो

दौसा

देश रे क्षेत्रफल रो प्रतिशत/भाग राज्य में

5.5 प्रतिशत

सबसु प्राचीन वलित पर्वत श्रंृखला

अरावली

सबसु ज्यादा आर्द्र जिलो

झालावाड

सबसु ज्यादा आर्द्र स्थान

माउंट आबू (सिरोही)

सबसु ज्यादा गरम जिलो

चूरू

सबसु ज्यादा ठण्डो जिलो

चूरू

सबसु ज्यादा लम्बी नदी

चम्बल (966 किमी.)

पूर्ण बाहाव रे आधार पर सबसु ज्यादा लम्बी नदी

बनास (480 कीं.)

सबसु बडी नमक उत्पादक झील

सांभर झील

ऊंचाई री दृष्टि सु सबसु ऊंचो बांध

जाखम बांध (81 मीटर ऊंचो)

सबसु ज्यादा भराव क्षमता वाळो बांध

राणा प्रताप सागर बांध

सबसु ज्यादा परती भूमि

जोधपुर

व्यर्थ भूमि रो सबसु ज्यादा प्रतिशत

जैसलमेर

सबसु ज्यादा शुष्क कृ षि तीव्रता

जैसलमेर अर बाडमेर

सबसु ज्यादा शुष्क स्थान

फलौदी (जोधपुर)

सबसु ऊंचो पर्वत शिखर

गुरू शिखर

राज्य रे कुल क्षेत्रफल में वन क्षेत्रफल रो प्रतिशत

9.46 प्रतिशत

राज्य ने वनां री दृष्टि सु बांटो गयो है

12 मंडल

राज्य में सबसु ज्यादा क्षेत्र में पाया जाणे वाळा वन

धोकडा वन

राज्य में सबसु ज्यादा वन क्षेत्र वाळा जिला

उदयपुर, चित्तौडगढ, बारां

सबसु ज्यादा ऊन

बीकानेर

राज्य में सबसु ज्यादा उगाई जाणे वाळी सब्जी

प्याज

राजस्थान दिवस

30 मार्च

सबसु बडी पन्ने-रत्न री अंर्तराष्ट्रीय मंडी

जयपुर

सबसु पुराणो उधोग

सूती वस्त्र उधोग

सबसु छोटो नगर

बोरखेडा (बांसवाडा)

विश्व रो एकमात्र वृक्ष मेळो

खेजडली (जोधपुर)

विश्व रो सबसु बडो चांदी रो पात्र

सिटी पैलेस (जयपुर)

विश्व रो सबसु बडो रिहायसी महल

छीतर महल (जोधपुर)

राज्य रो एकमात्र परमाणू विधुत गृह

रावतभाटा (चित्तौडगढ़)

पेली राजस्थानी फिल्म

नजराणो

राज्य रा पेला फिल्म अभिनेता

महिपाल

राज्य री पेली फिल्म अभिनेत्री

सुनयना

पेली हैरीटेज होटल

अजीत भवन (जोधपुर)

राज्य रो पेलो स्टाक एक्सचेंज

जयपुर

सबसु ज्यादा सरकारी समितियां

जयपुर

प्रथम महिला पायलट

नम्रता भट्ट

प्रथम महिला फलाइंग़ आफिसर

निवेदिता

अर्जुन पुरस्कार सु सम्मानित प्रथम व्यक्ति

डा.करणीसिंह (निशाणेबाजी 1961), प्रेमसिंह (पोलो 1961), सलीम दुर्रानी (क्रिकेट 1961)



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